Result of hard work
Result of hard work
Two friends Nakul and Sohan used to live in a village. Nakul was very religious and believed in God a lot, while Sohan was very hardworking, used to do everything with his hard work and dedication. Once both of them together bought a bigha of land, so that they wanted to cultivate it and grow a lot of crops and build their house.
Sohan used to work hard in the field and instead of doing farming in the field, Nakul used to go to the temple and pray to God for a good crop, this time God grow a good crop on our one bigha farm land, I will be grateful to you. After the harvest, I will offer you 21 coconut prasad.
In the same way, a long time passed, after some time the crop of the field was ripe and ready.
Then after collecting the crop, both of them went to the market and sold that crop and by selling that crop they got some good money. Coming home, Sohan said that I will get more share of this money because I have worked hard in the field.
Hearing this, Nakul said no, I should get more share of the money than you because I prayed to God, only then we got good crop grown in the fields and got good money for good crop in the market. There was a debate between the two about this matter, when both of them could not resolve this matter, then they reached the head of both the villages for the distribution of money.
Both of them come home with sacks of rice and start their work. Sohan immediately starts separating rice and pebbles. Till tomorrow morning, I will show you the earliest and most pebbles out of the rice, so that the chief's decision will be straight in my favor. be in and I got more money than Nakul. Nakul went to the temple with a sack of rice and prayed to God to separate the pebbles from the rice. Sohan worked hard to separate rice and pebbles.
The next morning, Sohan was able to separate the rice and pebbles and took it to the headman, seeing which the headman became happy and Nakul went to the headman with the same sack.
The chief asked Nakul to show how much rice you have cleaned. Nakul said that I have full faith in God that all the rice must have been cleaned. When the sack was opened, the rice and pebbles were filled in the same sack.
The headman told Nakul that even God helps only when you work hard. The headman then decided that Sohan should get the greater part of the money and the headman gave the greater part of the money to Sohan.
This thing had a great impact on Nakula and he too started working very hard in the field.
Lesson: This story teaches us that we should never rely on God, we should work hard to achieve success.
मेहनत का फल
एक गाओं में दो मित्र नकुल और सोहन रहा करते थे . नकुल बहुत धार्मिक था और भगवन को बहुत मानता था जबकि सोहन बहुत मेहनती था हर काम अपनी पूरी मेहनत और लगन से करता था एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा ज़मीन खरीदी जिससे वह उस पर खेती करके बहुत फसल ऊगा कर अपना घर बनाना चाहते थे .
सोहन तोह खेत में जाकर बहुत मेहनत से खेती करता और नकुल खेत में खेती करने के बजाये मंदिर में जाकर भगवन से अछि फसल के लिए प्रार्थना करता रहता भगवन इस बार हमारे एक बीघा खेत की ज़मीन पर बहुत अछि फसल ऊगा दीजिये मैं आपका आभारी रहूँगा पहर फसल उगने के बाद आपको २१ नारियल का प्रसाद भेट चढ़ाऊंगा ।
इसी तरह काफी समय बीत गया कुछ समय बाद खेत की फसल पक कर तैयार हो गयी .
फिर फसल को इकठ्ठा करके दोनों उस फसल को बाजार जा कर बेच आये और उस फसल को बेचने से उनकी कुछ अच्छे पैसे मिले घर आकर सोहन ने कहा की इस धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलेगा कुकी मेने खेत में ज्यादा मेहनत की है .
यह बात सुनकर नकुल बोलै नहीं धन का तुमसे ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना चाहिए क्यूंकि मेने भगवन से इसकी प्रार्थना की तभी हमको अछि फसल खेतो में उगी हुयी मिली और बाजार में में अछि फसल के अच्छे पैसे मिले . इसी बात को लेकर दोनों में बहस होने लगी जब वह दोनों इस बात को आपस में नहीं सुलझा सके तोह धन के बटवारे के लिए दोनों गाओं के मुखिया के पास पहुंचे।
जब वोह दोनों मुखिया के पास पहुंचे तोह मुखिया जी बोले अरे नकुल और सोहन तुम दोनों आज यहाँ कैसे और इतना गुस्से में क्यों हो तब उनकी सारी बात मुखिया जी ने ध्यान से सुनी। तब उन्होंने दोनों को एक एक बोरा चावल का दिया जिसमे चावल के साथ कंकड़ भी मिले हुए थे मुखिया ने कहा की कल सुबह तक तुम दोनों को इसमें से चावल और कंकड़ अलग करके लेन है तब मैं निर्णय करूँगा की इस धन का क्या करना है और इसके कितने हिस्से होंगे और किसको कितना हिस्सा मिलना चाहिए .
दोनों चावल की बोरियो को लेकर घर आ जाते है और अपने अपने काम पर लग जाते है सोहन तुरंत चावल और कंकड़ अलग अलग करने लगा कल सुबह तक सबसे जल्दी और सबसे ज्यादा चावल में से कंकड़ निकलकर दिखाऊंगा जिससे मुखिया जी का सीधा सीधा फैसला मेरे पक्ष में हो जाये और मुझे नकुल से भी ज्यादा पैसे मिले नकुल चावल की बोरी को लेकर मंदिर में गया और भगवन से चावल में से कंकड़ अलग करने की प्रार्थना करने लगा की भगवन मैं आपकी शरण में आया हु मेरी चावल में से कंकड़ अलग करने में सहायता कीजिये और रात भर सोहन ने मेहनत करके चावल और कंकड़ अलग अलग किये
अगले दिन सुबह सोहन जीतनेय चावल और कंकड़ अलग कर सका उसको ले जाकर मुखिया के पास गया जिसे देखकर मुखिया खुश हो गया और नकुल वैसी की वैसी बोरी को ले जाकर मुखिया के पास गया .
मुखिया ने नकुल को कहा की दिखाओ तुमने कितने चावल साफ़ किये है . नकुल ने कहा की मुझे भगवन पर पूरा भरोसा है की सारे चावल साफ़ हो गए होंगे जब बोरी को खोला गया तोह चावल और कंकड़ वैसे के वैसे ही बोरी में भरे हुए थे .
मुखिया ने नकुल को कहा की भगवन भी तभी सहायता करते है जब तुम मेहनत करते हो . मुखिया ने तब फैसला किया की धन का ज्यादा हिस्सा सोहन को मिलना चाहिए और मुखिया ने धन का ज्यादा हिस्सा सोहन को दे दिया .
इस बात का नकुल पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा और पहर वह भी खेत में बहुत मेहनत से काम करने लगा .
शिक्षा : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें कभी भी भगवन के भरोसे नहीं बैठना चाहिए हमें सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए .
very nice
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