A Cowerd Rock | डरपोक पत्थर



A Cowerd Rock | डरपोक पत्थर

Once in a villagle there was a craftman. He craft on stones to make idol(staute) of God.

Once he was searching for a stone in the forest to make an idol(staute). He got tired of searching the stone then he decied to take rest.

As he is going towards the tree to rest, he finds a stone which he was looking for.

The craftsman looking at the stone thinks that it is perfect for staute,Later he decides that I will not take rest and starts working on the stone .

Then he brought the stone to his home and put the stone on the floor (ground)

He start working on the stone with tools,As soon as the tools hit the stone, a sound started coming from it and the craftman got scared ,(Out of fear, he left his tools there and go back)

Huhrrrr ! Shhhhhhh!

The craftman says,

Who are you brother and where are you speaking from, why can’t you see me?

The stone says,

I am the same stone which you were about to make idol(staute). Please leave me i am very hurt.

Plaese make staute of other stone

The craftsman listened carefully to the stone. Later the stone sayes, if you hurt me more i will fall apart.

After hearing this, the craftsman give mercy for the stone and leaving that stone, he started making the idol with another stone.

The second stone did not say anything and the craftsman made a statue of it.

After the idol was made, the villagers came to take that idol (staute) so that they could install the idol (staute) in the temple.

The villagers thought that we needed another stone to offer the coconut. Must be then he went away with the same stone which the craftsman had left.

Then the villagers brought that stone in front of the staute.

Now every villager come to the temple and offer flowers to the idol (staute) and bathed the idol (staute) with milk,

And the stone which was kept in front of the idol would break coconut on it.

When people broke coconut on it, that stone would get very upset.Those people used to break the coconut on it and that stone used to feel a lot of pain but there was no one to listen to it.

Now that stone spoke to the idol-turned stone and said that you are very happy, People come and offer flowers to you, worship you.

My luck is so bad .

Now the staute -turned stone says,

When the craftsman was working on you, you refused him, otherwise you would be standing here today in my place.

Then you chose the easy way, that’s why you are suffering today.

Then that stone understood the meaning of the idol (staute)

Then the coconut stone said that now I will not complain to anyone.


डरपोक पत्थर

एक शिल्पकार हुआ करता था। वह भगवान की मूर्ति बनाया करता था और पत्थर पर शिल्पकारी किया करता था वह एक दिन मूर्ती बनाने के लिए जंगल में पत्थर ढून्ढ रहा था। ढूँढ़ते ढूँढ़ते वह थक गया जिससे उसने निर्णय लिया की वह थोड़ी देर के लिए विश्राम कर ले . वो जैसे ही विश्राम के लिए एक पेड़ की तरफ जा रहा होता है तभी उसे के पत्थर मिल जाता है वोह पत्थर मूर्ति बनाने के लिए एक दम सही होता है जिसको देखकर वो बहुत खुश हो जाता है और मन में सोचता है की यह पत्थर मूर्ति के लिए एक दम सही रहेगा .

उसने तुरंत ठान ली की वह अब विश्राम नहीं करेगा इस पत्त्थर को लेकर घर जायेगा और इसपर काम करना शुरू करेगा वह उस पत्त्थर को लेकर घर जाने लगता है . घर पहुंचकर उसने उस पत्थर को जमीन पर रखा और अपने औज़ारो से उस पर कारीगरी करना शुरू कर दिया .

औज़ारो की चोट जब पत्त्थर पर होने लगी तोह एक दम पत्थर में से आवाज़ आने लगी मज़दूर दर गया . डरके मारे उसने अपने औज़ार वही चोर दिए और पीछे हो गया हहहहह ककककककों कोण हो भाई कहा से बोल रहे हो मुझे दिखाई को नहीं दे रहे मैं वही पत्थर हु जिसे तुम अभी मूर्ति में बदलने वाले थे कृपया करके मुझे छोड़ दीजिये मुझे बहुत दर्द हो रहा है आप किसी और पत्थर से भगवान की मूर्ति बना लीजिये उसने ध्यान से पत्थर की बात सुनी और मुझे लगता है की अब तुम मुझे और चोट मरोगे तोह मैं बिखर कर अलग हो जाऊंगा

पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गयी उसने पत्थर को छोड़ दिया और दूसरे पत्थर को लेकर मूर्ती बनाने लगा . वह पत्थर कुछ नहीं बोला और शिल्पकार ने उस पत्थर को मूर्ति में बदल दिया .

गाओं के लोग मूर्ति बनने के बाद मूर्ति को लेने आये ताकि वह उसे मंदिर में इस्थापित कर सके

उन्होंने सोचा की हमें नारियल का चरवा चराने के लिए एक पत्थर और चाहिए होगा तोह जो पत्थर पहले शिल्पकार को मिला था गाओं वालो ने उस पत्थर को अपने साथ ले लिया मूर्ति को लेजाकर मंदिर में विराजमान करवाया और उसके सामने उसी पत्थर को रख दिया .

अब कोई भी गाओं वाला मंदिर में दर्शन के लिया आता थे वोह मूर्ति की फूलो से पूजा करता दूध से स्नान करवाता और जो पत्थर मूर्ति के सामने रखा गया था उस पर नारियल फोड़ता था . जब लोग उस पत्थर पर नारियल फोड़ते तोह वह पत्थर बहुत परेशां होता .

वह लोग लगातार पत्थर पर नारियल फोड़ते और उस पत्थर को बहुत दर्द होता वह चिल्लाता रहता पर उसकी सुनने वाला कोई न था उस पत्थर ने मूर्ती बने पत्थर से बात करि और कहा की तुम तोह बड़े मज़े से हो लोग मंदिर में एते है फूल चढ़ाते है चढ़ावा चढ़ाते है प्रशाद खिलते है कपडे चढ़ाते है तुम्हारी पूजा करते है .

लेकिन मेरी तोह किस्मत ही ख़राब है मुझ पर लोग नारियल फोड़ कर जाते है पहर तभी मूर्ति बने पत्थर ने कहा की जब शिल्पकार तुम पर कारीगरी कर रहा था तब तुमने उसे अपने को मूर्ति बनने से मन कर दिया था यदि तुम उस समय उसे मन नहीं करते तोह मेरी जगह तुम आज मूर्ति बनकर खड़े होते .



तुमने आसान रस्ते चुना इसलिए आज तुम दुख उठा रहे हो उस पत्थर को मूर्ति बने पत्थर की बात समझ में आ गयी . उसने कहा की अब से मैं किसी से कोई शिकायत नहीं करूँगा .

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